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संसार सागर

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एक बार की बात है कि एक युवा मछली ने बूढ़ी मछली से पूछा , ' हर कोई किसी ' महासागर ' की बात करता है । क्या चीज होती है यह सागर ? बूढ़ी और समझदार मछली ने जवाब दिया , ' सागर वह है , जो तुम्हारे आसपास तुम्हें हर तरफ से घेरे हुए है । ' युवा मछली को कुछ समझ नहीं आया । वह फिर बोली , ' मेरे आसपास कुछ नहीं है । अगर होता तो क्या मुझे दिखता नहीं ? बूढ़ी मछली ने कहा , ' हां , सही है , तुम नहीं देख सकती । सागर तुम्हारे भीतर और बाहर है । तुम सागर में ही पैदा हुई हो और हो सकता है , उसी में मृत्युहोजाए । सागर तुम्हारे चारों ओर बहता है , बिल्कुल उसी तरह जिस तरह तुम्हारी त्वचा तुम्हारे चारों ओर है ।

कन्फ्यूशियस ने एक बार कहा था , ' मछली भूल जाती है कि वह पानी में रहती है , इसी तरह लोग भूल जाते हैं कि वे ' ताओ ' में रहते हैं । हम सब ताओ के समुद्र में रहते हैं । ( ताओ एक चीनी दर्शन है जिसका सामान्य अर्थ पथ व मार्ग है , जो सभी वस्तुओं को संतुलित व एक क्रम के रूप में रखता है । ) यह समुद्र हमारे अंदर , बाहर , चारों ओर बहता रहता है । यह हमें हमारी त्वचा की तरह घेरे है । लेकिन , हम इसे समझ नहीं पाते । जरूरत प्रव की इस निरंतरता और एकरूपता का एहसास करने की होती है ।

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