विकल्पहीन संकल्प : - नए साल के लिए अक्सर लोग संकल्प लेते हैं , कई योजनाएं बनाते हैं , लेकिन वे पानी के बुलबुले की तरह विलीन हो जाते हैं। यदि आप पिछले दस वर्षों की शुरुआत में लिए गए अपने संकल्पों की सूची बनाएं, तो आप हैरान हो जाएंगे। या तो वही - वही संकल्प होंगे या फिर उनमें से एक भी संकल्प ने सूरज की रोशनी नहीं देखी होगी।

ऐसा क्यों होता है जानिए ? : - इसका कारण तो एक नही हो सकता फिर भी आपको इसका एक मुख्य कारण बताने का प्रयास करता हूँ, दरअसल बात यह है, कि हमें अपने ही मन की पहचान करने नही आता और ना ही हम अपने मन की पहचान करना चाहते है क्योंकि हम सभी बस दूसरों की देखा - देखी पर फैसले ले लेते हैं, ना की अपने मन के फैसले पर।
हमारा संकल्प : - हमारा संकल्प इसलिए भी पूरा नहीं होता , क्योंकि 'संकल्प में विकल्प' छिपा होता है। विकल्प का अर्थ है , "विपरीत कल्पना"। 'कल्पना' मन की ही एक गतिविधि है, पर जब तक वह 'सत्य' के साथ नहीं जुड़ती, तब तक सच नहीं होती। विख्यात अमेरिकी अभिनेत्री ग्रेटा गार्बो पहले एक होटल में वेट्रेस थीं।
एक दिन होटल में कोई ग्राहक आया और उनसे कहा, ' तुम इतनी सुंदर हो, फिल्मों में सफल अभिनेत्री बनोगी। ' यह बात ग्रेटा के ख्यालों में समा गई। फिर वह वही बात को बार बार सोचकर अपना सपना पूरा करने में लग गयी, लेकिन वह ये भी जानती थी की मेरा सपना तुरंत तो पूरा नही होगा लेकिन एक दिन पूरा जरुर होगा।
उस समय से उसे होटल के काम से मन उचट गया और उन्होंने ठान लिया कि वह अभिनेत्री बनकर रहेंगी। वह हॉलीवुड पहुंची और अभिनेत्री बनने के लिए जो भी मेहनत करनी थी, उसने पूरी ईमानदारी से की। आगे जाकर वह वाकई एक महान अभिनेत्री बनीं।
उस समय से उसे होटल के काम से मन उचट गया और उन्होंने ठान लिया कि वह अभिनेत्री बनकर रहेंगी। वह हॉलीवुड पहुंची और अभिनेत्री बनने के लिए जो भी मेहनत करनी थी, उसने पूरी ईमानदारी से की। आगे जाकर वह वाकई एक महान अभिनेत्री बनीं।
ग्रेटा का संकल्प कमजोर होता, तो वह काम वेट्रेस का करती और सपने हॉलीवुड के देखती रहतीं। पर उनका संकल्प इतना सघन था कि न उसमें कोई विपरीत ख्याल था, न ही असमंजस कि मैं अभिनेत्री बन सकूँगी या नहीं।
कोई भी नया संकल्प लेने से पहले देखें कि उसकी गहराई कितनी है, वह मन के किस तल से निकल रहा है, पूरा मन उसके साथ है या नहीं, तभी वह सफल होगा। ओर ऐसा ही प्रत्येक वर्ग के हमारे युवा साथी सोचते है, हम भी ऐसा करेंगे वैसा करेंगे पर लगन और धैर्य उनमे नही होता हैं। दरअसल आप जो सोचते वह तभी सम्भव होगा जब हम सभी ग्रेटा गार्बो के तरह सोचने और करने में विश्वास रखेंगे।
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