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Chhath Puja 2024: आज से शुरू हो गया है छठ महापर्व, जानें क्या है इसके नियम, परंपरा और महत्त्व

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Chhath Puja 2024: पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान छठी मैया की पूजा की जाती है। उन्हें भगवान सूर्य की बहन और भगवान ब्रह्मा की पुत्री माना जाता है। भक्तगण व्रत रखते हैं और छठी मैया की पूजा करते हैं क्योंकि उन्हें सूर्य देव की कृपा मिलती है। 

Chhath Puja 2024: आज से शुरू हो गया है छठ महापर्व, जानें क्या है इसके नियम, परंपरा और महत्त्व


साथ ही संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं। इस साल छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 5 नवंबर 2024 से हो गई ही है तो चलिए इस महापर्व (Chhath Puja 2024) से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।

छठ पूजा हिंदू धर्म का बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस साल इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ आज यानी 5 नवंबर से हो गई है। 

जानिए क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?


शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्यदेव की विशेष उपासना की जाती है। ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें। षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है।

जानिए छठ पूजा में उपवास के नियम क्या है?

इस चार दिवसीय त्योहार में 36 घंटे का कठोर उपवास रखा जाता है, जो सूर्य देव और उनकी बहन छठी माता को समर्पित है। छठ पूजा बिहार और यूपी के सबसे बड़े और प्रमुख त्योहारों में से एक है, जहां घरों की सफाई से लेकर पूजा सामग्री, सूप खरीदने तक की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है। यह पर्व (Chhath Puja 2024) वैदिक युग से चला आ रहा है, तो आइए इस महत्वपूर्ण पर्व से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

जानिए नहाय-खाय परंपरा क्या है?


प्रत्येक साल दिवाली के चौथे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा होती है। इस दिन कुछ खास रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। इस साल छठ पूजा (Chhath Puja 2024) 5 नवंबर नहाय-खाय से शुरू हो रही है। 
  • इस दिन घर का शुद्धिकरण किया जाता है। 
  • इसके बाद छठ व्रती स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण कर अपना व्रत शुरू करते हैं। 
  • नहाय-खाय में व्रती चावल के साथ लौकी की सब्जी, छोले और मूली आदि का सेवन करते हैं। 
  • उपवास करने वाले व्रती के भोजन करने के बाद ही परिवार के बाकी सदस्य इस महाप्रसाद का सेवन करते हैं।

जानिए नहाय-खाय की परंपरा क्या है?

हम सभी जानते है, दिवाली के चौथे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा होती है। इस दिन कुछ खास रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। इस साल छठ पूजा 5 नवंबर नहाय-खाय (Chhath Puja 2024) से शुरू हो रही है। इस दिन घर का शुद्धिकरण किया जाता है। इसके बाद छठ व्रती स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण कर अपना व्रत शुरू करते हैं। 

नहाय-खाय में व्रती चावल के साथ लौकी की सब्जी, छोले और मूली आदि का सेवन करते हैं। उपवास करने वाले व्रती के भोजन करने के बाद ही परिवार के बाकी सदस्य इस महाप्रसाद का सेवन करते हैं।

जानिए नहाय-खाय करने की खास नियम क्या है?


नहाय-खाय को छठ पूजा (Chhath Puja 2024) की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और प्रसाद के रूप में कच्चे चावल, चने और लौकी की सब्जी भोजन के तौर पर ग्रहण करते हैं। यह भोजन शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इस दिन नमक वाला भोजन केवल एक बार ही किया जाता है।

नहाय-खाय का सार पवित्रता से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस शुभ दिन पर व्रती खुद को शुद्ध करते हैं और सात्विक और पवित्र तरीके से छठ व्रत शुरू करते हैं।

जानिए खरना के बारे में 

छठ पर्व (Chhath Puja 2024) के दूसरे दिन को "लोहंडा-खरना" कहा जाता है। इस दिन लोग उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन करते हैं। खीर गन्ने के रस की बनी होती है। इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता है।

तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य


छठ पर्व में तीसरे दिन उपवास रखकर सभी महिलाऐं एवं पुरुष डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते है। साथ में विशेष प्रकार का पकवान "ठेकुवा" और मौसमी फल के साथ साथ अन्य फल भी शामिल रहते है जिन्हें छठी मैया (Chhath Puja 2024) को चढ़ाये जाते है। साथ में सभी लोग मिलकर अर्घ्य चढाते है जिसमे दूध और जल का मिश्रण होता है।

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य

छठ पर्व के (Chhath Puja 2024) चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है।

छठ पूजा पर शुभकामनाएँ (Chhath Puja Wishes in Hindi)

1. "छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ! सूरज की कृपा से आपका जीवन उज्ज्वल और समृद्ध हो।"

2. "सूर्यदेव की कृपा से आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। छठ पर्व की मंगलमयी शुभकामनाएँ!"

3. "छठी मइया की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूरी हो और आपके जीवन में खुशियों की बारिश हो। छठ पूजा की ढेरों शुभकामनाएँ!"

4. "छठ पूजा के पावन अवसर पर सूर्य देव से यही कामना है कि आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार हो। शुभ छठ पर्व!"


छठ पूजा के कुछ सामान्य प्रश्न उत्तर (FAQs)

छठ पर्व कब मनाते हैं?
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि और चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाते हैं।

छठ पर्व में किनकी पूजा होती है?
छठ पर्व में छठ मैया और सूर्य देव की पूजा होती है

छठ मैय्या कौन हैं?
छठ मैया सूर्यदेव की बहन और ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं।

सबसे पहले छठ पर्व किसने किया था?
सबसे पहले छठ पर्व सतयुग में राजा प्रियव्रत ने किया था

छठ पर्व क्यों किया जाता है?
छठ पर्व संतान और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है।

छठ पर्व कितने दिनों का पर्व है?
छठ पर्व 4 दिनों का महापर्व है जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि को होता है और समापन सप्तमी को होता है।

2024 में छठ पूजा कब पड़ेगी?
इस वर्ष यह महापर्व 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक मनाया जाएगा

छठ पूजा कब है, कितनी तारीख को?
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 07 नवंबर को देर रात 12:41 बजे शुरू होगी और 08 नवंबर को देर रात 12:34 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 07 नवंबर को संध्याकाल का अर्ध्य दिया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा

छठ पूजा का नियम क्या है?
छठ पूजा में जो महिलाएं व्रत करती हैं उन्‍हें 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीना होता है। इस नियम का पालन करन शास्‍त्रों में बहुत ही जरूरी माना गया है।

छठ पूजा सिर्फ बिहार में ही क्यों मनाई जाती है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सीता ने सर्वप्रथम पहला छठ पूजन बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था, जिसके बाद महापर्व की शुरुआत हुई।

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